Monday, March 27, 2023

राख के साथ संवाद ~(communicating with ash)

संस्मरण~ (राख के साथ संवाद ~communicating with ash) सन् २०२१, अगस्त ७ तारीख था, उस समय मैं नेपाल के राजधानी काठमांडू स्थित बालाजू इंडस्ट्रियल एरिया में एक बिस्कुट फैक्ट्री पर काम करता था । २०१५ में नेपाल में बड़ा भूकंप होने के बाद गुड़गाव से काठमांडू चला गया था । उसके बाद काठमांडू में ही रहने लगा । एक सामान्य नौकरी वाला, सामान्य सैलरी, सामान्य और सरल जीवन, सरल तरीके से ही चल रहा था । कभी कभी हिमाचल, उत्तराखंड और गुड़गांव का याद भी आता था लेकिन एक हिसाब से गर्व भी महसूस होता था कि नेपाल के राजा महेंद्र द्वारा १९६४ में स्थापित वह फैक्ट्री नेपालका पहला बिस्कुट फैक्ट्री था, उस में काम करने का एक सौभाग्य मिला इसका भी आनंद लेना चाहिए । जीवन तो एक यात्रा ही तो है । जैसे मुसाफिर खाना में अनेक प्रकार के लोग मिलते और बिछड़ते है । बस जीवन भी तो एक मुसाफिर खाना ही तो हैं।
शनिवार नेपाल में साप्ताहिक छुट्टी मिलती है । ७ तारीख शनिवार था । ६ तारीख के दिन भी मैं कुछ काम विशेष से छुट्टी लिया था । मेरा पुराना आदत था किसी दिन छुट्टी लेना है तो सभी को SMS कर के इंफॉर्म करता था । उस दिन भी SMS किया था । छुट्टी लिया तो अपने काम के लिए निकल पड़ा । दोपहर करीब १ बजा था मैं काठमांडू सिनामंगल स्थित एक मेडिकल कलेज में था । ऑफिस से जीएम साहब का फोन आया, और बोले "मोहन जी, आप कुछ देर के लिए मेरे कैबिन पर आइए", मेरा उत्तर था "सर जी, मैं तो छुट्टी पे हूं अभी हॉस्पिटल पे एक मरीज़ के साथ हूं, क्यू कोई विशेष काम है क्या?" आना है तो आ जाता हूं । फिर उधर से उत्तर मिला "नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं, ठीक है आप छुट्टी मैं है तो" कुछ देर बाद दुबारा कल आया कुछ जल्दी बाजी में किया जैसा आवाज आया "आप कब आयेंगे अच्छा .. अच्छा ... मैं तो भूल गया फिर कल किया आप तो छुट्टी पे है न" ....... मन में तोड़ा घबराहट भी हुआ कोई अच्छा संकेत नहीं कुछ गलत होने वाला है ऐसा मेरा मन बोल रहा था । बड़े साहब है फोन कर रहे है तो कुछ काम तो जरूर होगा । सब को यह होता ही है । जरूरी काम होता तो फोन पर भी बोलते होंगे, फिर आने के लिए भी तो कहा नहीं ऐसा सोचकर अपने मन की ज्वार भाटे को शांत कर दिया । मन में कुछ बात सोचते हुए घर गया रात को रोटी सब्जी खाया और फ्राइडे था तो एक मूवी देखा सो गया।
रात में सोने से पहिले ही मेरा फोन साइलेंस पर रखने का आदत है, उस दिन भी वही किया । सुबह जगा तो समय देखने के लिए मोबाइल उठाया देखा समय सुबह ४.१५ हुआ था । फोन पर कुछ मिस कल पड़े हुए थे । पर्चेज मेनेजर का ३/४ और अपने स्टोर के एक सहकर्मी का ४/५ । मुझें लगा रात को इंडिया से मेशिन का कुछ सामान आया होगा तो ड्राइवर को लोकेशन बताने के लिए कल किया होगा । अक्सर आधा रात में समान आया तो मुझे ही कल आया करता था
कलबैक किया तो और कुछ था .........फैक्ट्री पे आग लग गई थी । विश्वास नहीं हुआ । डेट देखा कही अप्रैल १ तो नहीं यदि ऐसा होता था तो अधिकारीक व्यक्ति से कल आता था होगा ...... फिर भी उनको दुबारा पूछा कहीं मजाक तो कर नहीं रहे है । आप को किसने बताया ? वह बोले किसी दूसरे फैक्ट्री के वॉच मैन ने कबाड़ी वाले को फोन किया और उस ने उनको फोन किया । मतलब जेलाबी जैसे घूम घूम कर संदेश आया है ।
उस समय मैं फैक्ट्री से करीबन ७ किमी दूरी पे रहता था । मिसेज को जगाया और बताया और देख कर आता हूं बोल कर अपना स्कूटी निकाला और चल दिया ।
आग सच में ही लगी थी सब लोग पहुंच गए थे, दमकल आग बुझाने में लगे थे लेकिन फैक्ट्री राख मे बदल रही थी । मन कर रहा था एक मुट्ठी भर कर राख उठा लू और उस से पूछ लूं .........
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लिखने में मजा नहीं आया कल यह लोग मिलेंगे और पूछेंगे "राख ने क्या बोला?" । फिर स्टोरी जैसा नहीं रहेगा । आज से और १० साल बाद लिखेंगे तो यह स्टोरी सुंदर लगेगी तब तक के लिए कृपया धीरज रखिए

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